Food in Ayurveda
*आर्युवेद में भोजन*
मनुष्य की गलत खान-पान संबंधी आदतें सारी बिमारियों की जड़ है
जानवर न तो आयोडीन नमक खाता है और न ब्रश करता है, फिर भी किसी को थायराइड नहीं होता और न दांत खराब होता है
बन्दर शरीर संरचना में मनुष्य के सबसे नजदीक है, बस बंदर और आप में यही फर्क है कि बंदर के पूँछ है आप के नहीं है, बाकी सब कुछ समान है।
तो फिर बंदर को कभी भी हार्ट अटैक, डायबिटीज , high BP , क्यों नहीं होता है?
एक पुरानी कहावत है बंदर कभी बीमार नहीं होता और यदि बीमार होगा तो जिंदा नहीं बचेगा मर जाएगा!
बंदर का जो RH factor है वह सबसे आदर्श है । कोई डॉक्टर जब आपका RH factor नापता है, तो वह बंदर के ही RH Factor से तुलना करता है , वह डॉक्टर आपको बताता नहीं यह अलग बात है
उसका कारण यह है कि, उसे कोई बीमारी आ ही नहीं सकती । उसके ब्लड में कभी कॉलेस्टेरॉल नहीं बढ़ता , कभी ट्रायग्लेसराइड नहीं बढ़ती , न ही उसे कभी डायबिटीज होती है । शुगर को कितनी भी बाहर से उसके शरीर में इंट्रोडयूस करो, वो टिकती नहीं । क्यों कि *बंदर सबेरे सबेरे ही भरपेट खाता है। जो आदमी नहीं खा पाता है , इसीलिए उसको सारी बीमारियां होती है ।*
*सूर्य निकलते ही सारी चिड़िया , सारे जानवर खाना खाते हैं ।*
जब से मनुष्य इस ब्रेकफास्ट , लंच , डिनर के चक्कर में फंसा तबसे मनुष्य ज्यादा बीमार रहने लगा है ।
डाक्टर नेअपने सभी मरींजों से कहा कि *सुबह सुबह भरपेट खाओ* । उनके मरीज बताते है कि, *जबसे उन्हांने सुबह भरपेट खाना शुरू किया तबसे उन्हें डायबिटीज यानि शुगर कम हो गयी, किसी का कॉलेस्टेरॉल कम हो गया, किसी के घुटनों का दर्द कम हो गया , किसी का कमर का दर्द कम हो गया गैस बनाना बंद हो गई, पेट मे जलन होना बंद हो गया ,नींद अच्छी आने लगी* ….. वगैरह ..वगैरह ।
जैन धर्म में तो रात्रि भोजन निषेध है
यह बात बागभट्ट जी ने 3500 साल पहले कहा, कि सुबह का किया हुआ भोजन सबसे अच्छा है ।
सुबह सूरज निकलने से ढाई घंटे तक यानि 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भरपेट भोजन हो जाना चाहिए। और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । यह नाश्ता का प्रचलन हिंदुस्तानी नहीं है , यह अंग्रेजो की देन है , और रात्रि का भोजन सूर्य अस्त होने से आधा घंटा पहले कर लें । तभी बीमारियों से बचेंगे । सुबह सूर्य निकलने से ढाई घंटे तक हमारी जठराग्नि बहुत तीव्र होती है । हमारी जठराग्नि का सम्बन्ध सूर्य से है ।हमारी जठराग्नि सबसे अधिक तीव्र स्नान के बाद होती है स्नान के बाद पित्त बढ़ता है , इसलिए सुबह स्नान करके भोजन कर लें । तथा एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच 4 से 6 घंटे का अंतराल रखें बीच में कुछ न खाएं, और दिन डूबने के बाद बिल्कुल न खायें।
चूंकि यह पक्षियों और जंगली जानवरों की दिनचर्या में सम्मिलित है, अत: वे अमूमन बीमार नहीं होते।
स्वस्थ रहे, स्वस्थ रखे
आयुर्वेद के अनुसार, शाम का खाना सूर्य छिपने से पहले हो तो कभी बीमार नहीं होंगे
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