VijayaSar
*विजयसार*
मधुमेह के लिए विजयसार का उपयोग आयुर्वेद में बहुत प्रभावशाली माना गया है। यह प्राकृतिक रूप से रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
रात को सोने से पहले विजयसार लकड़ी के गिलास में साफ पानी लगभग 100–150 ml भर दें।
सुबह उठकर उस गिलास का पानी खाली पेट पिएं।
यह पानी हल्का भूरा या गुलाबी रंग का हो जाएगा—इसी में औषधीय गुण होते हैं।
30 दिनों तक नियमित उपयोग करें, फिर 15 दिन का अंतर लें।
अथवा
विजयसार की लकड़ी के
1–2 टुकड़े एक मिट्टी या कांच के बर्तन में रातभर 1 गिलास पानी में भिगो दें।
सुबह उस पानी को छानकर खाली पेट पिएं।
15–30 दिन तक यह प्रयोग करें।
सावधानियाँ:
यदि आप पहले से कोई एलोपैथिक दवा ले रहे हैं तो शुगर लेवल नियमित रूप से चेक करते रहें।
कभी-कभी शुगर बहुत कम भी हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह लेते रहे
गर्भवती महिलाएं या गंभीर रोगी इसका उपयोग करने से पहले वैद्य या डॉक्टर से सलाह लें।
यहाँ दोनों प्रकार के मधुमेह के लिए विजयसार का सुरक्षित उपयोग बताया गया है
दवा लेने का उद्देश्य रक्त शर्करा नियंत्रित करना, इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाना
सुबह खाली पेट:
रातभर विजयसार टम्बलर में रखा हुआ पानी (150 ml) पिएं।
भोजन के बाद:
यदि चाहें तो ½ चम्मच विजयसार चूर्ण (पाउडर) गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं (दिन में 1 या 2 बार)।
हल्का योग या वॉक जरूर करें जैसे कपालभाति, मंडूकासन, शुगर कंट्रोलिंग आसन
शरीर की सामान्य शक्ति बढ़ाना, पाचन सुधारना, ब्लड शुगर में थोड़ी स्थिरता लाना बिना इंसुलिन
सावधानी से उपयोग करें:
केवल विजयसार टम्बलर का पानी सुबह 100 ml तक लें।
अगर इंसुलिन या अन्य दवा लेते हैं बिल्कुल न रोकें—यह केवल एक सहायक (supplementary) उपाय है।
शुगर लेवल बार-बार देखते रहे ताकि हाइपोग्लाइसीमिया न हो।
लकड़ी के टुकड़े या गिलास हर 1–1.5 महीने में बदल दें क्योंकि उनमें से औषधीय गुण धीरे-धीरे कम हो जाते हैं।
सुबह जल्दी (5:30–6:30 AM):
1 गिलास विजयसार का पानी (रातभर टम्बलर/लकड़ी में रखा हुआ)
10 मिनट प्राणायाम कपालभाति, अनुलोम-विलोम
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