Paan

*'पान का पत्ता'*
                                   ‌       ‌                                  मौसम बदलते ही खांसी और छाती में जमा कफ हो जाता है  जो जाने का नाम ही नहीं लेता तो इस का इलाज है  'पान का पत्ता' जो आपके लिए एक शक्तिशाली औषधि साबित हो सकता है।              जानते हैं कि यह साधारण सा पत्ता कैसे आपकी श्वसन प्रणाली के लिए वरदान बन सकता है।*
                                 पान के पत्ते  औषधीय गुणों, विशेषकर कफ पर प्रभाव के लिए बहुत महत्व दिया गया है।

 इसका स्वाद 'तीखा और 'कड़वा होता है। इसकी तासीर 'गर्म होती है और यह स्वभाव में ' गहराई तक पहुंचने वाला और 'सूखा होता है।            ‌                     इसकी गर्म और तीक्ष्ण तासीर फेफड़ों और श्वास नलियों में जमे हुए गाढ़े, चिपचिपे बलगम /कफ को पिघलाने और काटने का काम करती है। यह बलगम को ढीला करके उसे शरीर से बाहर निकालना आसान बनाता है।                              यह वात दोष को भी शांत करता है, जो सूखी खांसी और गले की खराश का कारण बनता है।                यह श्वसन मार्गों  में आई रुकावट को खोलता है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।
 आयुर्वेद के अनुसार, पान का पत्ता एक शक्तिशाली कफ-नाशक औषधि है जो सीधे तौर पर छाती की जकड़न और खांसी के मूल कारण पर काम करती है।
 पान के पत्तों में 'चाविकोल' (Chavicol), 'यूजेनॉल' (Eugenol) और कई तरह के एसेंशियल ऑयल्स पाए जाते हैं।
इसमें मौजूद यौगिक श्वसन मार्ग की सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे खांसी और गले की जलन में आराम मिलता है।*एंटी-माइक्रोबियल गुण:* पान के पत्ते में प्राकृतिक एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं जो उन कीटाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं जो श्वसन संक्रमण का कारण बनते हैं।                             दर्द निवारक प्रभाव: इसके हल्के दर्द निवारक गुण गले की खराश और खांसी से होने वाले दर्द को कम करने में भी सहायक हैं।     
2-3 ताज़े, हरे पान के पत्ते लेंकर हाथ से छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर डेढ़ कप पानी में डाल दें।
इस पानी को धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक कि यह घटकर लगभग एक कप न रह जाए।
 इसे छान कर
पीने लायक गुनगुना हो जाए, तो इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं।      शहद भी खांसी में बहुत फायदेमंद होता है।
इस काढ़े को दिन में 1 से 2 बार गर्म-गर्म पिएं।
                                छोटे बच्चों या बुजुर्गों के लिए, पान के पत्ते पर हल्का सा सरसों का तेल लगाकर उसे गर्म तवे पर हल्का सा सेंक लें और गुनगुना रहने पर छाती पर रखें। यह भी जकड़न में बहुत आराम देता है।

पुरानी खांसी के लिए भी यह‌ उपाय कारगर है


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