,KALONJI
*कलौंजी*
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) एक आम बिमारी बनती जा रही है। अगर आप भी इस बिमारी का शिकार है तो जानिए उपचार
कलौंजी को कई बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है कलौंजी की तासीर गर्म होती है और यह वात तथा कफ दोषों को संतुलित करती है।
आयुर्वेद में कलौंजी को 'पाचन को उत्तेजित करने वाला 'पाचन' भोजन पचाने वाला, कफ को कम करने वाला और ' दर्द निवारक माना गया है।
रक्तवाहिकाओं में वात दोष के असंतुलन से संकुचन होता है या रक्त में अशुद्धियाँ बढ़ जाती हैं। कलौंजी के उष्ण और वात-कफ शामक गुण रक्तवाहिकाओं को आराम देने और रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
आमतौर पर कलौंजी को पीसकर, पानी के साथ या तेल के रूप में लिया जाता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि कलौंजी, विशेष रूप से इसका तेल कलौंजी का तेल रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद 'थाइमोक्विनोन' (Thymoquinone) नामक एक सक्रिय यौगिक रक्तवाहिकाओं को आराम देता है और उनके लचीलेपन को बढ़ाता है, जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है। कुछ अध्ययनों में यह भी देखा गया है कि कलौंजी शरीर से अतिरिक्त नमक को बाहर निकालने में मदद कर सकती है, जो रक्तचाप को कम करने में सहायक है। कलौंजी के गुणों का लाभ लेने के लिए इसे आमतौर पर निगलने पूरा या पाउडर के रूप में या इसके तेल का सेवन करने की सलाह दी जाती है ताकि यह पाचन तंत्र के माध्यम से अवशोषित हो सके।
कलौंजी के सेवन से रक्तचाप कम होता है यह सिद्ध है, वैज्ञानिक प्रमाण इसके प्रभाव आमतौर पर नियमित सेवन के बाद ही दिखते हैं।
यदि आप कलौंजी का सेवन करके अपने रक्तचाप को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहते हैं, तो यहाँ कुछ प्रभावी तरीके दिए गए हैं
रात को एक चम्मच कलौंजी को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पी लें और दानों को चबाकर खा लें।
एक चौथाई से आधा चम्मच कलौंजी पाउडर को हल्के गुनगुने पानी के साथ दिन में एक बार लें।
कुछ बूँदें कलौंजी के तेल को एक गिलास पानी में मिलाकर पिएं। आप इसे भोजन में भी शामिल कर सकते हैं।
आधा चम्मच कलौंजी के दानों को एक कटोरी दही में मिलाकर नियमित रूप से खाएं।
कलौंजी के सेवन के साथ-साथ अपने जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव जैसे संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन भी बहुत ज़रूरी हैं।
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