Cow Ghee

*गाय का घी.*

‌                                        ‌                                       आज खाने में घी ना लेना एक चलन सा बन गया है।
दिल के मरीजों को भी घी से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
परंतु घी खाने के जानने के बाद आप की धारणा बदल जाएगी

  घी वात और पित्त दोषों को शांत करता है।

चरक संहिता में कहा गया है की जठराग्नि को जब देसी गाय का घी डाल कर प्रदीप्त कर दिया जाए तो कितना ही भारी भोजन क्यों ना खाया जाए, ये बुझती नहीं।

 बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है जो देसी गाय के घी के सेवन से निकल जाता है। अगर ये नहीं निकला तो मोटापा बढ़ जाता है।

हार्ट की नालियों में जब ब्लोकेज हो तो देसी गाय का घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है

गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो देसी गाय का घी उसे शांत करता है।

 देसी गाय का घी सप्तधातुओं को पुष्ट करता है।

दाल में देसी गाय के घी को डाल कर खाने से गेस नहीं बनती वो मोटापा कम होता है

 देसी गाय का घी एंटीओक्सिदेंट्स की मदद करता है जो फ्री रेडिकल्स को नुकसान पहुंचाने से रोकता है
                                        गाय के घी को दही जमा कर मथने से बनाना चाहिए इसमें प्राण शक्ति आकर्षित होती है। फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है।

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