Urinary tract Disease
*मूत्र संबंधी रोग*
सामान्य से अधिक बार मूत्र करने जाना पड़ता है तो यह मूत्राशय यानी ब्लैडर में, किसी समस्या के कारण हो सकता है।
ऐसे में मूत्राशय के कमजोर होने की संभावना होती है और यह दैनिक कार्यों और रात की नींद में, बाधा डाल सकता है।
इस का कारण हो सकता है
प्रोस्टेट ग्रंथि में ज्यादा वृद्धि हो जाने के कारण मूत्र उत्सर्जन में परेशानी आने लगती है. इसके आकार में वृद्धि के कारण ही मूत्र नलिका का मार्ग अवरुद्ध हो जा जाता है. इसकी वजह से पेशाब रुक जाता है.
बढ़ती उम्र के साथ ही हमारे शरीर में होने वाला हार्मोनल परिवर्तन इसका एक संभावित कारण हो सकता है.
ऐसा प्रोस्टेट ग्रंथि में गड़बड़ी के कारण हो सकता है
बार बार पेशाब करने जाना
बहुत जोर से पेशाब का अहसास होना लेकिन नहीं आना या बहुत कम मात्रा में आना
पेशाब धार के चालू होने में देरी लगना
अंडकोष में लगातार दर्द का अनुभव करते रहना।
मूत्र पर नियंत्रण नहीं रख पाना
रात्रि में बार-बार पेशाब लगना।
पेशाब करते समय जलन का अनुभव करना।
इस से छुटकारा पाने के कुछ घरेलू उपाय
अंगूर का सेवन करने से, मूत्र कम लगता है
अंगूर का रस सेवन करने से गुर्दों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
आंवले का रस तीन चम्मच एक कप पानी में मिलाकर, सुबह-शाम चार दिन तक सेवन करें।
जामुन की गुठली को पीसकर एक चम्मच फंकी पानी से नित्य दो बार लेनें से बिस्तर पर मूत्र जाने वाले बच्चों का ये रोग सही हो जाता है।
वृद्धावस्था में होने वाले अधिक मूत्र आने वाले रोग में जामुन की गुठली व काले तिल दोनों को समान मात्रा में लेकर पीस लें। दो चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ फंकी लें।
एक केले का सेवन करना भी लाभदायक है।
पपीते का सेवन करने से मूत्र अधिक मात्रा में आता है। मूत्र अधिक लाने के लिए पपीते का सेवन करें।
पालक की सब्जी का सेवन करने से रात को बार-बार मूत्र जाने की समस्या से छुटकारा मिलता है
50/60 ग्राम प्याज के टुकडे़ करके एक किलो पानी में उबालें। इसे छानकर स्वादानुसार शहद मिलाकर, तीन बार सेवन करें, मूत्र के बंद होने या बार-बार आने में, लाभ देता है।
मसूर की दाल सेवन करने से बहुमूत्र में लाभ होता है।
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