JASMIN GULKANDD
*चमेली के फूल का गुलकंद*
चमेली का गुलकंद, एक सुगंधित, स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर औषधि है, जिसे चमेली के ताजे फूलों मे शक्कर या मिश्री मिला तैयार किया जाता है। यह गुलाब के गुलकंद के समान ही शीतल, पित्तशामक कब्बज नाशक होता हैं
ताजे चमेली के फूल – 250 ग्राम,
शुद्ध खड़ी शक्कर या मिश्री – 500 ग्राम (2 गुना मात्रा), को
कांच की बरनी में
चमेली फूलों की ताज़ी पंखुड़ियाँ
साफ पानी से धोकर छाया में सुखाएँ, ताकि नमी निकल जाए।
कांच के जार में, एक परत फूलों की और एक परत शक्कर की बारी-बारी से लगाओ
जार को ढक्कन से बंद करके, 15–20 दिन तक प्रतिदिन, 4–5 घंटे धूप में रखें।
नित्य, लकड़ी की चम्मच से एक बार हिलाएँ। ताकि, सब फूल समान रूप से गलें।
20/25 दिन बाद यह चिपचिपा, गाढ़ा गुलकंद बन जाता है
शरीर की गर्मी को शांत करता है। लू, गर्म में व सिरदर्द में लाभकारी।
बिना मरोड़ के मल को स्वच्छ करता है। ये कब्बज नाशक बच्चों व वृद्धों के लिए उपयुक्त।
शरीर से विषैले तत्वों को निकालने में सहायक।व खून को शुद्ध करता है
और त्वचा विकारों में उपयोगी।
मानसिक तनाव व अनिद्रा में लाभकारी चमेली की सुगंध से मन शांत होता है, जिससे नींद अच्छी आती है।
मासिक धर्म की अनियमितता, जलन, पीड़ा व चिड़चिड़ेपन में लाभ देता है।
मुँह की दुर्गंध दूर करता ह
स्निग्धता और शीतलता के कारण हृदय को शांति व बल देता है।
1 से 2 चम्मच सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले।
कब्ज़ में -- 1–2 चम्मच गुनगुने दूध या जल के साथ।
गर्मी में आराम 1 चम्मच दोपहर भोजन के बाद।
यौनबल वृद्धि के लिए 1 चम्मच अश्वगंधा या शतावरी चूर्ण के साथ।
गर्मी के मौसम में 2 से 3 माह तक नियमित सेवन लाभकारी है।
ठंडी प्रकृति वालों को अत्यधिक सेवन से, जैसे सर्दी-जुकाम हो सकते हैं।
(3) गुलकंद को हमेशा छाया में और कांच के जार में रखें
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