GULAR
*गूलर*
*परम्परागत एवं आयुर्वेदानुसार गूलर के औषधीय उपयोग,
गूलर के फलों को सुखाकर उसे पीसकर उसका चूर्ण चीनी में मिलाकर सुबह शाम खाया जाता है इससे रक्त प्रदर ठीक हो जाता है!
रक्त प्रदर में हमें दूध का सेवन करना चाहिए....
पके हुए गूलर के बीज निकालकर उसे पानी के साथ पीसकर उसका रस निकालकर रस में शहद मिलाकर खाने से रक्त प्रदर ठीक हो जाता है.!
गूलर का दूध गाय, बकरी या भैंस के दूध के साथ मिलाकर पीने से शरीर सूखे रोग से मुक्त रहता है.!
कच्चे गूलर की सब्जी खाने से
गूलर के सूखे फलों को पीसकर, छानकर उसमें चीनी मिलाकर प्रतिदिन खाने से
खुनी बवासीर रोग से मुक्त हो जाते है।
खूनी बवासीर में 10 बूँद गूलर का दूध 1 चम्मच पानी में मिलाकर पीना चाहिए।
इसके फल को पीसकर पानी के साथ पीने से मधुमेह रोग से मुक्त हो जाते हैं।
दंत रोग में गूलर के 2–3 फल पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर इसके काढ़े से कुल्ला करना चाहिए इससे दांत व मसूढ़े स्वस्थ तथा मजबूत रहते है
निमोनिया होने पर गूलर के दूध को पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर पिलाया जाता है।
फोड़ा फुन्सी होने पर फोड़े फुंसियों पर गूलर का दूध लगाना चाहिए
गूलर के पत्तों की गोलियों को चूसने से मुह के छाले छाले ठीक हो जाते हैं।
मोच आने पर या हड्डी टूटने पर गूलर की छाल, गेहूं भीगाकर, पीसकर देशी घी में मिलाकर थोडा गर्म करके लेप लगाया जाता है।
लगभग 1 सप्ताह में टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।
गूलर के फलों को सुखाकर उसे पीसकर, छानकर, चीनी मिलाकर रोज पीने से नकसीर का रोग ख़त्म हो जाता है।
पके हुए गूलर के फलों को, गूलर के छाल के रस में घोंटकर, धुप में सुखाकर, इसकी गोली बनाकर दिन में 4 बार 2 - 2 गोली शहद में मिलाकर चाटना चाहिए, फिर बकरी का दूध पीना चाहिए
पित्त विकार होने पर गूलर के पत्तों को पीसकर, शहद के साथ चाटा जाता है।
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