WATER

*पानी*


पानी से संभव है लाइलाज बिमारियों का उपचार बस पीना है ऐसे

*जल(Pani) है औषध समान*

*‘अजीर्ण होने पर पानी पीना  दवा  के समान है

 दो अन्न के बीच में जैसे रोटी व चावल दोनो खा रहे हैं तो रोटी खाने बाद चावल खाने से पहले बीच मे अमृत के समान है और भोजन के अंत में विष के समान है
 
 उबला हुआ पानी (Pani)ठंडा करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पीने से अरुचि, जुकाम, मंदाग्नि, सुजन, खट्टी डकारें, पेट के रोग, नया बुखार और मधुमेह में लाभ होता है |*

 सुबह उबाला हुआ पानी गुनगुना करके दिनभर पीने से प्रमेह, मधुमेह, मोटापा, बवासीर, खाँसी-जुकाम, नया ज्वर, कब्ज, गठिया, जोड़ों का दर्द, मंदाग्नि, अरुचि, वात व कफ जन्य रोग, अफरा, संग्रहणी, श्वास की तकलीफ, पीलिया, गुल्म, पार्श्व शूल आदि में पथ्य का काम करता है |*

 सूर्योदय से २ घंटा पूर्व, शौच क्रिया से पहले रात का रखा हुआ आधा लीटर से सवा  लीटर पानी पीना असंख्य रोगों से रक्षा करता है

 दो लीटर पानी(Pani) में 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण या १ साबूत टुकड़ा डालकर पानी आधा होने तक उबालें | ठंडा करके छान लें | यह जल गठिया, जोड़ों का दर्द, मधुमेह, दमा, क्षयरोग (टी.बी.), पुरानी सर्दी, बुखार, हिचकी, अजीर्ण, कृमि, दस्त, आमदोष, बहुमुत्रता तथा कफजन्य रोगों में खूब लाभदायी है |*

जल : एक लीटर पानी में एक चम्मच अजवायन डालकर उबालें | पानी आधा रह जाय तो ठंडा करके छान लें |  ह्दय-रोग गैस, कृमि, हिचकी, अरुचि, मंदाग्नि,पीठ व कमर का दर्द, अजीर्ण, दस्त, सर्दी व बहुमुत्रता में लाभदायी है |*

भूखे पेट, भोजन की शुरुवात व अंत में, धुप से आकर, शौच, व्यायाम या अधिक परिश्रम व फल खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए

 अधिक या एक साथ पानी पीने से पाचन बिगड़ जाता है

लेटकर, खड़े होकर पानी पीना तथा पानी पीकर तुरंत दौड़ना या परिश्रम करना हानिकारक है | बैठकर धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए पानी पीना चाहिए

*प्लास्टिक की बोतल में रखा हुआ, फ्रिज का या बर्फ मिलाया हुआ पानी अति हानिकारक है |*

सामान्यत: १ व्यक्ति के लिए एक दिन में तीन से पाँच लीटर पानी पर्याप्त है

*गर्मी के मौसम में मिट्टी के पात्र का रखा जल,बरसात के मौसम में ताम्रपत्र का रखा जल व सर्दी के मौसम में स्वर्ण पात्र का रखा जल पिना मौसम व स्वास्थ्य के अनुकूल है स्वर्ण व ताम्रपत्र की उपलब्धता न होने की परिस्थिति मे कोई भी सोने या तांबे की वस्तु को डाल कर रखा जा सकता है*

*स्वर्ण पात्र का रखा जल मानसिक (अल्पबुद्धि, पागलपन) व कफ के सभी रोगों का काल है*

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